Think and Grow Rich (हिन्दी सारांश )
**"Think and Grow Rich" का पहला अध्याय: "परिचय"
सारांश: "Think and Grow Rich" का पहला अध्याय "परिचय" भारतीय दरबारी भाषा में है और यह एक उत्कृष्ट आत्म-सहायता ग्रंथ की शुरुआत है। इस अध्याय में, लेखक ने पढ़ाने वाले को पुस्तक की महत्वपूर्ण सिद्धांतों से परिचित कराया है।cleck hear-Think and Grow Rich book in hindi
मुख्य विषय:
आत्म-सहायता का महत्व: लेखक ने आत्म-सहायता के महत्व को बताया है और यह बताया है कि यह शक्ति कैसे एक व्यक्ति को सफलता की ऊँचाइयों तक पहुंचा सकती है।
सफल लोगों की कहानियाँ: पहले अध्याय में सफल लोगों की कहानियाँ हैं जो इस पुस्तक के सिद्धांतों का पालन करके अपने लक्ष्यों को हासिल करने में सक्षम रहे हैं।
विशेषज्ञता का महत्व: लेखक ने यहाँ बताया है कि सफलता प्राप्त करने के लिए व्यक्ति को अपनी विशेषज्ञता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और उसे उसमें माहिर बनना चाहिए।
योजना बनाना और उस पर अमल करना: इस अध्याय में लेखक ने यह भी बताया है कि सफलता के लिए योजना बनाना और उसे पूर्णता के साथ अमल में लाना कितना महत्वपूर्ण है।
नेतृत्व विशेषज्ञ की सुझाव: "परिचय" अध्याय ने दर्शाया है कि सोचने का तरीका कैसे हमारी सफलता को प्रभावित कर सकता है और यह एक प्रेरणादायक प्रस्तावना प्रदान करता है। इसमें सफलता की कुंजीयों को समझाने के लिए जरूरी उपाय और सिद्धांतों की बात की गई है, जो पढ़ने वाले को एक सकारात्मक सोच और क्रियाशीलता की दिशा में प्रेरित करेगा
दूसरा अध्याय: "इच्छा" (Desire)
1. प्रस्तावना: इस अध्याय में, नेपोलियन हिल ने यह बताया है कि सफलता की शुरुआत एक अत्यंत मजबूत और सकारात्मक इच्छा से होती है। यह इच्छा ही एक व्यक्ति को उच्चतम स्थानों तक पहुँचने की ऊर्जा प्रदान करती है।
2. अनुकरणीय इच्छा: हिल ने बताया है कि सफल लोग वहाँ तक पहुँचने के लिए एक अनुकरणीय इच्छा रखते हैं जो उन्हें कमजोरियों और संघर्षों के बावजूद आगे बढ़ने में मदद करती है।
3. इच्छा की सबसे बड़ी शक्ति: इस अध्याय में यह भी बताया गया है कि इच्छा की सबसे बड़ी शक्ति तब होती है जब यह सांविदानिक रूप से दृढ़ और असली होती है, जिसे हिल 'बर्निंग डेज़ायर' कहते हैं।
4. इच्छा का असर: इच्छा की शक्ति का असर व्यक्ति के विचार, भावनाएं, और क्रियाएं पर होता है, जिससे उसका दृष्टिकोण सकारात्मक बनता है और उसे सफलता की दिशा में बढ़ने में मदद मिलती है।
5. इच्छा के लक्षण: अध्याय में इच्छा के साकार रूप में परिणाम होने के लक्षणों की भी चर्चा की गई है, जिसमें उन्होंने बताया है कि इच्छा से जुड़े विचारों को सच्ची आस्था, उत्साह और दृढ़ता के साथ अपनाना चाहिए।
तीसरा अध्याय: "Aastha" (आस्था)
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