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मार्च, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ये कहानी आपके जिंदगी की हर मुश्किल से लड़ने मे मदद करेगी

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  अभिनव बिन्द्रा जिद और जुनून ने दिलाया गोल्ड अभिनव बिन्द्रा की कहानी वास्तव में एक प्रेरणादायक और अद्भुत है। वे एक भारतीय ओलंपियन हैं जिन्होंने भारत को ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीताने में मदद की। उनकी कहानी ज़िद, उत्साह, और लगन से भरी हुई है। अभिनव बिन्द्रा का जन्म एक छोटे से गाँव में हुआ था। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर थी, लेकिन वे एक सपना देखते रहे कि वे एक दिन देश का नाम रोशन करेंगे। अभिनव की बचपन से ही हॉकी में दिलचस्पी थी। वह हमेशा मेहनत करते रहे और अपनी क्षमताओं को सुधारने के लिए प्रयास करते रहे। उनका उत्साह और लगन देखकर उनके कोच ने उन्हें अपनी टीम में शामिल किया। अभिनव की जिद और जुनून ने उन्हें हमेशा आगे बढ़ने की साहसिकता दी। वे कभी हार नहीं मानते थे। वे हमेशा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मेहनत करते रहे, चाहे वह कितना भी मुश्किल हो। उनकी मेहनत और उत्साह ने उन्हें ओलंपिक में सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उन्होंने भारत को हॉकी में गोल्ड मेडल जीताकर देश का नाम रोशन किया। अभिनव बिन्द्रा की कहानी हमें यह सिखाती है कि ज़िद, जुनून और मेहनत से कोई भी लक्ष्य हासिल...

5 प्रेरणादायक कहानिया जो आपको अपने लक्ष्य तक पहुचायेगी

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  1.स्वामी विवेकानंद की प्रेरणादायक कहानी  एक बार की बात है, भारत के एक छोटे से गाँव में एक युवा लड़का नाम अर्जुन रहता था। अर्जुन स्कूल में एक सामान्य छात्र था। वह अक्सर निराश हो जाता था क्योंकि वह कुछ अपने सहपाठियों की तरह अच्छे प्रदर्शन नहीं कर पाता था। एक दिन, उसके अध्यापक ने घोषणा की कि एक प्रसिद्ध वक्ता और दार्शनिक, स्वामी विवेकानंद, उनके स्कूल को प्रेरणात्मक भाषण देने के लिए आ रहे हैं। अर्जुन, उत्सुक और थोड़ा डरा हुआ, अपने सहपाठियों के साथ भाषण को सुनने गया। स्वामी विवेकानंद ने अपनी बातचीत में खुद पर विश्वास की शक्ति और मेहनत और आत्मनिर्भरता की महत्वपूर्णता के बारे में बात की। उन्होंने उन महान व्यक्तित्वों के किस्से साझा किए जो संघर्ष के माध्यम से सफलता प्राप्त कर चुके थे। भाषण के बाद, अर्जुन ने साहस किया और स्वामी विवेकानंद के पास गया। उसने अपने अपरिपक्वता की भावना व्यक्त की और अपने स्टडीज़ में अपने सीमाओं के बावजूद उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए सलाह मांगी। स्वामी विवेकानंद मुस्कुराते हुए बोले, "मेरे प्यारे बच्चे, कभी भी अपनी असमर्थता का मूल्यांकन न करें। आपमें जो क्ष...

5 BHAGAVAT GEETA SHLOK IN HINDI

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भगवत गीता श्लोक  यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।। "जब-जब धर्म की हानि होती है, अधर्म का उदय होता है, भारत! उस समय मैं स्वयं को प्रकट करता हूँ, और धर्म की स्थापना के लिए खुद को उत्पन्न करता हूँ।" इस श्लोक का अर्थ है कि जब धर्म का पालन कम हो जाता है और अधर्म बढ़ जाता है, तब भगवान स्वयं अपने रूप में प्रकट होते हैं और धर्म की स्थापना के लिए कार्य करते हैं। कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।। "कर्म में ही तुम्हारा अधिकार है, फलों के लिए कभी नहीं। फल के हेतुओं में मत पड़ो, और कर्म में भी मेरा संग न करो।" इस श्लोक में बताया गया है कि हमें कर्म करने का अधिकार है, लेकिन हमें फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। हमें केवल कर्म करने में लगना चाहिए और फल की आकांक्षा नहीं करनी चाहिए। फल के लिए कर्म करना हमें बंधनों में डाल सकता है, जबकि निष्काम कर्म हमें मुक्ति की ओर ले जाता है| click here bhagwat geeta book in hindi न त्वेवाहं जातु नासं न त्वं नेमे जनाधिपा। ...