5 प्रेरणादायक कहानिया जो आपको अपने लक्ष्य तक पहुचायेगी

  1.स्वामी विवेकानंद की प्रेरणादायक कहानी 

एक बार की बात है, भारत के एक छोटे से गाँव में एक युवा लड़का नाम अर्जुन रहता था। अर्जुन स्कूल में एक सामान्य छात्र था। वह अक्सर निराश हो जाता था क्योंकि वह कुछ अपने सहपाठियों की तरह अच्छे प्रदर्शन नहीं कर पाता था। एक दिन, उसके अध्यापक ने घोषणा की कि एक प्रसिद्ध वक्ता और दार्शनिक, स्वामी विवेकानंद, उनके स्कूल को प्रेरणात्मक भाषण देने के लिए आ रहे हैं।

अर्जुन, उत्सुक और थोड़ा डरा हुआ, अपने सहपाठियों के साथ भाषण को सुनने गया। स्वामी विवेकानंद ने अपनी बातचीत में खुद पर विश्वास की शक्ति और मेहनत और आत्मनिर्भरता की महत्वपूर्णता के बारे में बात की। उन्होंने उन महान व्यक्तित्वों के किस्से साझा किए जो संघर्ष के माध्यम से सफलता प्राप्त कर चुके थे।

भाषण के बाद, अर्जुन ने साहस किया और स्वामी विवेकानंद के पास गया। उसने अपने अपरिपक्वता की भावना व्यक्त की और अपने स्टडीज़ में अपने सीमाओं के बावजूद उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए सलाह मांगी।

स्वामी विवेकानंद मुस्कुराते हुए बोले, "मेरे प्यारे बच्चे, कभी भी अपनी असमर्थता का मूल्यांकन न करें। आपमें जो क्षमता है, वह कुछ भी कर सकते हैं।अपनी कमजोरियों पर ध्यान देने की बजाय, अपनी ताकतों पर ध्यान केंद्रित करें। खुद पर विश्वास करें और अपने लक्ष्यों की ओर मेहनत से काम करें। ध्यान दें, सफलता यह नहीं बताती कि आप कितने बुद्धिमान हैं, बल्कि यह बताती है कि आप कितनी मेहनत करने के लिए तत्पर हैं।"

स्वामी विवेकानंद के शब्दों से प्रेरित होकर, अर्जुन ने अपनी सोच को बदलने का निश्चय किया। उसने अपनी पढ़ाई में अतिरिक्त प्रयास किया, और जब भी उसे कोई समस्या आई, तो अपने अध्यापकों से सहायता मांगी। वह अपनी असफलताओं को सीखने और विकसित करने के अवसर के रूप में लिया |

2 मेढक और मछली की कहानी


एक बार की बात है, एक बड़े झील में एक मेंढ़क और एक मछली दोस्त थे। वे दोनों अपने जीवन में खुश और संतुष्ट थे।

एक दिन, मेंढ़क ने मछली से कहा, "मेरे प्यारे दोस्त, मुझे लगता है कि हमें अपने साथी जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ नया करना चाहिए। हमें अपने स्वप्नों की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।"

मछली ने हंसते हुए कहा, "क्या तुम कह रहे हो, मेंढ़क? हम तो यहाँ झील में खुश हैं। क्या जरुरत है और क्या काम?"

मेंढ़क ने उत्साह से कहा, "हाँ, हम खुश हैं, लेकिन हमें कभी भी अपने आप को समझने और स्वीकार करने से पीछे नहीं हटना चाहिए। हमें अपनी क्षमताओं को अवश्य परिक्षण करना चाहिए और नई उच्चायों की ओर बढ़ना चाहिए।"

मछली ने सोचा और फिर कहा, "ठीक है, मेंढ़क, मैं तुम्हारे साथ चलूँगी।"

फिर, मेंढ़क ने एक यात्रा पर निकलने का निर्णय किया। उन्होंने अनेक विपरीतताओं का सामना किया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने लक्ष्य की दिशा में प्रगति की।

समय के साथ, उन्होंने अपने स्वप्नों को पूरा किया और अपने आप को बेहतर बनाया। उन्होंने एक-दूसरे के साथ मिलकर अपनी क्षमताओं को पहचाना और सहयोग किया।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें कभी भी स्थितियों को स्वीकार करने से नहीं, बल्कि हमें अपने आप को समझने और सुधारने के लिए प्रेरित करने चाहिए। जीवन में आगे बढ़ते समय, हमें नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन हमें हार नहीं मानना चाहिए और हमेशा सीखने और बढ़ने की ओर आगे बढ़ना चाहिए।

3. गरीब बच्चे की सफलता की कहानी



यहाँ एक प्रेरणादायक कहानी है एक गरीब लड़के के बारे में जो मेहनत करके गरीबी से बाहर निकल गया।

एक गाँव में रहने वाला लड़का नामक राजू बहुत ही गरीब था। उसके माता-पिता कमाई के लिए मेहनत करते थे, लेकिन फिर भी घर की जरूरतें पूरी नहीं होती थीं। राजू को स्कूल भी नहीं जाने दिया जाता था क्योंकि पैसों की कमी के कारण।

लेकिन राजू के दिल में एक सपना था - उसे एक दिन गरीबी से बाहर निकलकर सफलता की ऊंचाइयों को छूना था। वह जानता था कि केवल मेहनत करके वह अपने सपनों को पूरा कर सकता है।

राजू ने निरंतर मेहनत की और किसानों के खेतों में काम करने लगा। उसने अपनी संघर्षों को हार नहीं माना और हर रोज़ मेहनत की। वह रात के समय भी पढ़ने के लिए जागता रहता था।

धीरे-धीरे, राजू की मेहनत और उसका अटल इरादा उसे सफलता की ऊंचाइयों तक पहुँचा दिया। वह अब एक अच्छे कंपनी में नौकरी कर रहा है और अपने परिवार की स्थिति में सुधार लाया है।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि गरीबी के बावजूद भी, अगर हम मेहनत करें और अपने सपनों के पीछे लगे रहें, तो हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं। जीवन के हर मोड़ पर उसने अपने सपनों को पूरा करने का सपना देखा, और उसने मेहनत और उम्मीद के साथ अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते हुए किया। राजू की यह कहानी हमें यह बताती है कि सफलता का सच्चा राज उसकी मेहनत, इरादा और संघर्ष होता है।

4. अब्दुल कलाम की सफलता 

 


जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के एक सफल उपग्रह प्रक्षेपण में एक बड़ी समस्या उत्पन्न हुई, तो ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने एक अनुभव साझा किया जो हमें प्रेरित करता है।

एक बार जब उन्हें अंतरिक्ष यान चलाने का जिम्मा था, उन्हें एक ऐसी समस्या का सामना करना पड़ा जो अद्भुत सफलता की राह में आई थी। उन्होंने बताया कि उनका टीम बहुत निराश हो गई थी जब उनका प्रयोग असफल रहा।

उन्होंने अपनी टीम को समझाया कि असफलता से निराश होने के बजाय, हमें सीखना चाहिए। वे बताते हैं कि उन्होंने इस समस्या को हल करने के लिए एक नई दिशा में सोचने की कला सीखी। उन्होंने अपनी सोच को बदल कर समस्या का समाधान निकाला, जिससे उन्होंने अंततः सफलता प्राप्त की।

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें अपनी समस्याओं का सामना करने का तरीका बदलना चाहिए, बल्कि हमें समस्याओं को समाधान के लिए नई दिशा में सोचना चाहिए। अगर हम निराश होकर हार मान लेते हैं, तो हम कभी सफल नहीं हो सकते। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि असफलता सिर्फ एक अवस्था है, लेकिन उससे सीखकर हम सफलता की ओर आगे बढ़ सकते हैं।APJ Abdul Kalam

5. सुकरात का रहस्य


एक बार, प्राचीन यूनान में एक युवक था जिसका नाम था ग्लूको। ग्लूको अपने जीवन में ज्ञान की तलाश में बहुत उत्सुक था। उसने सुना था कि सुकरात, जिसे उसने अपने आदर्श माना था, ज्ञान के लिए प्रसिद्ध थे।

एक दिन, ग्लूको ने सुकरात के पास जाकर उनसे बात की। उसने सुकरात से पूछा, "सर, कृपया मुझे ज्ञान के बारे में बताएं, क्योंकि मैं भी ज्ञान की खोज में हूँ।"

सुकरात ने ग्लूको की आवाज सुनी और मुस्कुराते हुए कहा, "बेटा, ज्ञान की खोज करने का सबसे अच्छा तरीका है अपने अंदर को पहचानना।"

ग्लूको ने हैरानी से पूछा, "लेकिन सर, यह कैसे होगा?"

सुकरात ने उत्तर दिया, "अपने अंदर की अनजानी क्षमताओं को पहचानो, समझो और विकसित करो। जब तुम अपनी वास्तविक स्वभाव को समझोगे, तो तुम्हें ज्ञान की प्राप्ति होगी।"

ग्लूको ने सुकरात के वचनों को ध्यान से सुना और अपने अंदर की अनजानी क्षमताओं को खोजने का निर्णय लिया। उसने अपनी ज्ञान की तलाश में अपने अंदर के गहराईयों में जाना और उन्हें पहचाना। इसके बाद, उसने ज्ञान की प्राप्ति के लिए अपनी मेहनत और उत्साह से काम किया।

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि ज्ञान की प्राप्ति के लिए हमें अपने अंदर की स्वाभाविक क्षमताओं को पहचानना और समझना आवश्यक होता है। जब हम अपने अंदर की खोज करते हैं, तो हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है और हम सच्चे ज्ञानी बनते हैं।

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